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सोमवार, मई 24

श्री जल देव गण किंगल


श्री जल देव गण किंगल
जहां राजा वहीं मंत्री इसी प्रकार जहां देवता वहां देव गण भी। अथाZत राजाओं के विस्तृत कार-करिन्दों की भान्ति श्री कोटे’वर महादेव के कुछ चमत्कारी गण जिन्हें यहां की स्थानीय भाषा में (नौड़-बौड़) कहते है, भी है। इन्हीं गणों का एक उदाहरण ‘किंगल नामक एक कस्बे’ में देखने को मिलता है। किंगल में एक खडड बहती है। उस खडड पर पानी का एक झरना गिरता है। इस झरने के बहाव से जो तालाब बनता है, वह देखने में काफी छोटा और कम गहरा लगता है। परन्तु 1897 को एक रहस्यपूणZ और सत्य कहानी है कि जब यहां पर लकड़ी के एक ठेकेदार ने अपनी ‘’ाहतीरियां’ इस झरने से ले जानी चाही तो उसकी सारी की सारी शहतीरियां झरने में बने तालाब में डूब गइZ और उनका नामोंनि’ाान तक न रहा। किंगल के स्थानीय लोगों से इस आ’चयZ चकित घटना का विचार करने के बाद उक्त ठेकेदार ने श्री कोटे’वर महादेव के श्री जल देव जिसे ‘जुंडलू’ भी कह देते है, की पूजा की और अपना कायZ सफल बनाया। पुराने समय में इस जुंडला नामक झरने से भी भेड़े से आए बूढ़े देवता की चमत्कारी बतZनों की घटना की भान्ति ही बतZन हर कायZ को निपटाने के लिए मिलते थे। इन बतZनों को लेने में केवल मनुष्य को उस झरने पर जाकर धूप जलाकर श्री जल देवता की स्तुति करनी पड़ती थी और बतZनों की सूचि बनाकर या बतZनों के नाम पर एक-एक पत्थर की कंकरी रख कर वापिस आना पड़ता था। प्रात׃ आकर मनचाहे बतZन मिल जाते थे। कायZ समाप्ति पर इन बतZनों को स्वच्छता से तालाब के किनारे रखा जाता था, जहां से वह बतZन स्वयं ही लुप्त हो जाते थे।
परन्तु मनुष्य कभी-कभी नीच काम कर बैठता है। जिस का प्रायि’चत उसे तो करना ही पड़ता है। परन्तु उस द्वारा किए गए इस कुकमोZं का फल उसे भी भोगना पड़ता है। यह आदान-प्रदान काफी लम्बे समय से चला आ रहा था। परन्तु विक्रमी समत1900 के आस-पास की ही एक बात है कि, कुमारसैन रियास्त के एक आदमी ने इन बतZनों में से एक बतZन चुरा दिया, चुराए हुए बतZन के स्थान पर उसी तरह का बतZन रख दिया। सम्भवता यह उस व्यक्ति की दैविक शक्ति को परखने का एक नाटक हो। परन्तु जो कुछ भी होगा, यह परख बहुत महंगी साबित हुइZ। उसकी इस हरकत से ‘जुंडलू देवता’ रूष्ट हो गए। उसी समय से यहां से बतZन निकलने बन्द हो गए। आज भी जुंडलू देवता की किंगल व आस-पास के लोगों में बहुत आस्था है। कहा जाता है कि यह शक्ति श्रद्धा एवं स्वच्छता की दास है। इसका एक उदाहरण किंगल के लौगों से सुनने को मिलता है। इस देवता का कोइZ मन्दिर अथवा कोइZ रथ नही है। फिर भी इसे कइZ लौगो ने साक्षात रुप में देखा है। कथनानुसार श्री जल देव सफेद वस्त्र धारण किए सफेद रंग के घोड़े पर चलते हैं। आज भी किंगल ओर आस-पास के लोगों में ‘श्री जल देवता’ के प्रति गहरी आस्था है ओर कहा जाता है कि श्री जुडंलू देवता अपने क्षेत्र की प्रजा रक्षा हेतू वायु में बिजली वेग के समान चलते है।

Ref.---("Shiv Shakti Sri Koteshwer Mahadev"
by "Amrit Kumar Sharma")

रविवार, मई 23

बागवानी प्रशिक्षण शिविर


राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड एवम कृषि विज्ञान केन्द्र रोह्ड़ू के संयुक्त तत्वावधान में कुमारसैन में 21 से 23 मई 2010 तीन दिवसीय बागवानी प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया! जिसमें रोहड़ू केन्द्र के डा० नरेन्द्र कायथ तथा डा० ऊषा शर्मा ने लगभग 50 बागवानों को सेब से सम्बधित विभिन्न जानकारिया दी! इस कार्यक्रम के दूसरे दिन नोणी विश्वविद्यालय से सेवानिवृत प्रोफ़ेसर डा० ज्ञान ठाकुर ने अपने अनुभवों को बागवानों से सांझा किया! शिविर के तीसरे दिन बागवानों को कृषि विज्ञान केन्द्र रोहड़ू की ओर से बागवानी सम्बधी पाठय सामग्री निःशुल्क वितरित की गई!

शुक्रवार, मई 21

वितिय लाभ देने की मांग

कुमारसेन सेवानिवृत कर्मचारियों ने प्रदेश सरकार से संशोधित वेतनमान के आधार पर वितिय लाभ देने की मांग की है!सेवानिवृत कर्मचारी राम लाल वर्मा, गौरी दत वर्मा, सुरेश भारद्वाज और अन्य सेवनिवृत कर्मचारियों ने कुमारसेन टूडे को बताया की एक जन्वरी 2006 से 31 अगस्त 2009 के मध्य सेवानिवृत हुए कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान संशोधित वेतनमान का लाभ नहीं दिया जा रहा है! इसी आधार पर पेनशन और अन्य लाभ भी निर्धारित किये जाने चाहिये! इन कर्मचारियों ने सरकार से साहनुभूति पूर्वक विचार करने की मांग की है!

बुधवार, मई 19

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रविवार, मई 16

शनिवार, मई 8

दुग्ध उत्पादकों की हड़ताल

कुमारसेन में आजकल दुग्ध उत्पादकों की हड़ताल चल रही है! पिछले कल शुक्रवार को भी उत्पादकों ने दुकानों में दूध नहीं दिया! वे दूध का मूल्य को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं! कुमारसेन में आजकल दूध का मूल्य १५ रुपये प्रति लीटर है! घास चारें आदि के रेट में वृद्धि के कारण मूल्य बढो़तरी की मांग की जा रही है!

गुरुवार, मई 6

शिविर


कुमारसेन में स्वस्थ्य विभाग ने विक्लागता जांच शिविर का आयोजन किया

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